ग़ज़ल
इक तो अब हो गई पुरानी भी, हमको आती नहीं सुनानी भी तुम अपने गम से भी नहीं खाली, है
Read Moreभला है बुरा है, है अपनी जगह मेरा फ़ैसला है, है अपनी जगह ज़माना भले बेवफ़ा हो मगर अभी भी
Read Moreआग सीने में बहुत थी हम तरल होते रहे इन थपेड़ो से समय के बस विरल होते रहे चोट
Read Moreमिट गये देश के जो सृजन के लिए रह गये शेष हैं स्मरण के लिए । काश, पुरखों के अरमान
Read Moreजिन्दगी भर बस यही नादाँनियाँ करता रहा। आदमी रिश्तो में भी बेईमानियाँ करता रहा॥ जान कर भी सच को उसने
Read More122 122 122 122 मेरे दर्दे गम की कहानी न पूछो । मुहब्बत की कोई निशानी न
Read Moreप्यार के फूल खिलाते जाएँ इस बगिया को सजाते जाएँ कोई आँख अब ना रोए ऐसे सबको हंसाते जाएँ दिल
Read Moreहमें अब इश्क में फिर से हदों के पार जाना है। वही किस्सा पुराना फिर वफा का दोहराना है॥ किसी
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