तुम्हारी बेरुखी
तुम्हारी बेरुखी फिर मुझको न रुसवा कर देफिर न एक बार मुझे ख़ुद में अकेला कर दे मैं जानता हूं
Read Moreतुम्हारी बेरुखी फिर मुझको न रुसवा कर देफिर न एक बार मुझे ख़ुद में अकेला कर दे मैं जानता हूं
Read Moreतेरी मेहरबानी का किस्सा सबको सुनाया।अंधा समझ हाथ पकड़ तूने रास्ता दिखाया। अब तो तेरी शिकायत करें भी तो किससे।सबके
Read Moreजो गीली लकड़ियों को फूंक कर चूल्हा जलाती थींजो सिल पर सुर्ख़ मिर्चें पीस कर सालन पकाती थीं, सुबह से
Read Moreभूले नही जो भुलाने चले थेपते सारे जिनके जलाने चले थेकई रातों से सोये अरमां नही हैंजिनको शब में सुलाने
Read Moreजिंदगी को इन दिनो शरारत सूझी हैहर दिन हर लम्हें दर्द बेहिसाब दे रही है कभी जब भी फुरसत के
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