चांद के पार चलो
चांद के पार चलो, चांद के पार चलो, चलो – चलो अब चांद के पार चलो। चांदनी मचल रही, चांद
Read Moreचांद के पार चलो, चांद के पार चलो, चलो – चलो अब चांद के पार चलो। चांदनी मचल रही, चांद
Read Moreबेटी से आबाद हैं, सबके घर-परिवार। बेटो जैसे दीजिए, बेटी को अधिकार।। — चाहे कोई वार हो, कोई हो तारीख।
Read Moreसर पर बोझा, कांधे बच्चे, छाती तक है पानी कैसे – कैसे दिन दिखलाती है ये नदिया रानी । इसके
Read Moreराहे वफा में दीप जलाकर राह तुम्हारी तकती हूँ हाँ राह तुम्हारी तकती हूँ दुनिया की लापरवाही से दूर परवाह
Read Moreक्षण भंगुर ये जीवन अपना, नया नया कुछ काम करें। प्रेम-प्रीति के सम्बन्धों को, आज हृदय के नाम करें ।।
Read Moreगौरय्या का नीड़, चील-कौओं ने हथियाया है हलो-हाय का पाठ हमारे बच्चों को सिखलाया है — जाल बिछाया अपना छीनी
Read Moreजीना किया मुहाल धरा का ,संकट में मन प्राण किया है । ढेर लगा,मल औ कचरे का , हैवानों सा
Read Moreजीवन के वो चार दिना बीत गये जो प्यार बिना नफरत की आग जलती थी ख्वाहिशें भी खूब मचलती थी
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