गीत – बरस रहे आषाढ़ी बादल
तन सूखामन लगा नहानेबरस रहे आषाढ़ी बादल। साठ बरसपहले अतीत मेंपहुँच चुका है ये मेरा मन।देह उघाड़ेजाऊँ बाहरबरस रही हैं
Read Moreतन सूखामन लगा नहानेबरस रहे आषाढ़ी बादल। साठ बरसपहले अतीत मेंपहुँच चुका है ये मेरा मन।देह उघाड़ेजाऊँ बाहरबरस रही हैं
Read Moreसुघड़, सलोनी, प्यारी – प्यारीजिसपर जाऊँ मैं बलिहारीमति को उलझाये रखती हैकहती है सुन दिल की बातेंयाद करो वह प्रीत
Read Moreचाह है केवल इतनी मेरी, तुम आगे बढ़ती जाओ। मजबूरी में साथ न आओ, कर्म करो, और पाओ।। अपनी कोई
Read Moreराहुल गांधी शर्म करो चुल्लू भर पानी में डूब मरो,भारत की आत्मा हिन्दू को हिंसक कहना बन्द करो। हिन्दू हिंसक
Read Moreमन में मानवता का कोई भाव न हो सबसे बढ़कर लगे स्वार्थ अपना महजऔरों का दुख कभी भी न आए
Read Moreक्या करूँगा मैं बहुत मशहूर होकर,कई लोग जलने लगेंगे मेरा नाम सुनकर।मुझे अच्छा नहीं लगता किसी को उदास देखकर,भले ही
Read Moreबचपन के वो दिन आज याद आएकितने बेपरवाह मस्तमौला थे हमशैतानियों के वो सारे पल याद आए टिकते नहीं थे
Read Moreशूल-पत्थर की डगर है तेज़ धाराएँ-भँवर हैंसामने भूधर खड़ा है शत्रु बन तूफाँ अड़ा हैधूल पलकें मूँदती है पग को
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