गीत : भूरे भुवन में छाए हुए
भूरे भुवन में छाए हुए, मेघ मधु हुए; जैसे वे धरित्री ही हुए, क्षितिज को लिए ! दिखती धरा कहाँ
Read Moreभूरे भुवन में छाए हुए, मेघ मधु हुए; जैसे वे धरित्री ही हुए, क्षितिज को लिए ! दिखती धरा कहाँ
Read Moreथपकियाँ दे दे के मुझे , माँ जो सुलाती है नहीं आने वाली भी , नींद मुझे आ जाती है
Read More(भारत बंद को बुलाने वालों और इसका समर्थन करने वालों को आईना दिखाती मेरी नयी कविता) भारत माँ के बेटे
Read Moreइक बात सुनो लोगों ‘ कुछ कहना चाहूँगा मरने से पहले मैं ‘ ना मरना चाहूँगा ।। खाने के लिए
Read Moreदेखो हाहाकार मचा है गद्दारों की टोली में है प्रयास में फिर भी सत्ता आ न सकेगी झोली में कुर्सी
Read Moreभड़की ज्वाला खूँ की प्यासी, सरहद भरती है हुंकार| उबल पड़ा फिर लहू हिन्द का ,सुनकर साँपों की फुफकार||
Read Moreदेश की दशा को देख मन मेरा बेहाल हैं। बार बार मन मेरा ये कर रहा सवाल है। किसको है
Read Moreबिस्तर मेरी धरती मैया और गगन का चादर है वही ओढ़ना वही बिछौना मन मेरा ज्यूँ सागर है तन मैला
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