गीत : मैं श्रीराम लिखूँ
दिल चाहता है मेरा भी इस कलम से मैं श्रीराम लिखूँ रावण से अवगुण रखकर पर कैसे उनका नाम लिखूँ
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Read Moreभीग रही है पलके मेरी सजन तेरी याद में, बैठी हूँ तन्हा अकेली तेरे इंतज़ार में, तू दूर गया तो
Read Moreअचानक उष्ण धार जब छोड़े, ध्यान में मुझको वे रहे जोड़े; गीले आवरण देख नेत्र मुड़े, इससे उद्विग्न वे हुए
Read Moreइससे बड़ी नहीं कोई संतुष्टि अभिमान की नारी रहे बन्धनीय, मात्र अबला बेचारी हो चरित्र का प्रमाण जब राम ही
Read More“चइता- गीत सखी मन साधि पुरइबे हो रामा, चइत पिया अइहें ननद जेठानी के ताना मेंहणा नाहीं पिया भेद
Read Moreअच्छा हार मान ली हमने लो तुम ही जीते. किसी तरह से मनमुटाव के दिन तो अब बीते. किसने क्या
Read Moreतुम गए तो जैसे प्राण गए, मेरे जीवन की आस गई तर्षित थी मैं जन्मों से, तुम गए तो मेरी
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