गीत : रूप तेरा मन बसा
रूप तेरा मन बसा यूँ, फूल ज्यों मकरंद है। वो हमेशा झिलमिलाए,ज्यों गगन में चंद है॥ बात महकी रातरानी,प्राण में
Read Moreरूप तेरा मन बसा यूँ, फूल ज्यों मकरंद है। वो हमेशा झिलमिलाए,ज्यों गगन में चंद है॥ बात महकी रातरानी,प्राण में
Read Moreपिछला पहर जब रात का हो, और आँख में नींद ना आती हो, तुम तनहा छत पर लेटे हो, ये
Read More(महाराणा प्रताप जयंती पर इस अमर वीर को समर्पित मेरी नयी कविता) जब मुगलों ने मिर्ची डाली, पावन हल्दीघाटी में,
Read Moreतुम्हें हरदम पुकारा है, मैंने खामोश होकर भी, तुम्हें इक पल नहीं भूला, मैं अपने होश खोकर भी, तुम्हें धड़कन
Read More(हिन्दू धर्म में जन्मे, लेकिन हिन्दू विरोधी और मुस्लिम परस्त राजनीति करके देश को गुलामी की ओर ले जाते नेताओं
Read Moreहलके से जब मुसका दिए, उनको प्रफुल्लित कर दिए; उनकी अखिलता लख लिए, अपनी पुलक उनको दिए ! थे प्रकट
Read More“भारत माता की जय”नहीं बोलूगा-ओवैशी के इस बयान वाले सन्दर्भ मे मेरी रचना- ऐ ओवैशी क्या तुझको भारत माता से
Read Moreहर कोई चाहता है बेटा पर बेटियाँ महत्वहीन क्यों है बेटा पैदा होता बजती बधाई बेटी पर गम़गीन क्यों है
Read Moreजहां हम तुम मिले थे कभी सागर किनारे देखो खिल उठे हैं वहां फूल प्यारे-प्यारे कह गए थे जहां तुम
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