प्रकृति दर्शन
(१)सरोवर की इन बन्दिशों में भीअजब सा प्रेम सौन्दर्य भर रहा है।ख्वाबों के इस शहर ने मुझे भी,अपने अनुभवों के
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Read Moreमधुर मनोहर रूप है, सुंदर मेरे श्याम।देख नयन पुलकित हुए, लगा सुखद अभिराम।।मधुर मनोहर श्याम जी, जग के पालनहार।दया करो
Read Moreबिखर रहे चूल्हे सभी, सिमटे आँगन रोज।नई सदी ये कर रही, जाने कैसी खोज॥ दादा-दादी सब गए, बिखर गया संसार।चाचा,
Read Moreगया देश को भूल, सत्ता – मद में आदमी।नाशी बुद्धि समूल,कर्म-धर्म करता नहीं।।जन-सेवा से दूर, सत्ता के भूखे सभी।भावहीन भरपूर,
Read Moreवैलेंटाइन का चढ़ा, ये कैसा उन्माद।फौजी मरता देश पर, कौन करे अब याद।। सौरभ उनको भेंट हो, वैलेंटाइन आज।सरहद पर
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