“कुंडलिनी”
“कुंडलिनी” रंग मंच का दृश्य यह, मन को लेता मोह। झंडे के भल रूप से, किसका हुआ बिछोह।। किसका हुआ
Read More“कुंडलिनी” रंग मंच का दृश्य यह, मन को लेता मोह। झंडे के भल रूप से, किसका हुआ बिछोह।। किसका हुआ
Read Moreभावन अदा लिए हुए, लाल शुभ्र प्रिय रंग पारिजात कैलाश में, रहता शिव के संग रहता शिव के संग, भंग
Read More“मुक्त काव्य” चाह की राह है गोकुल निर्वाह है यमुना कछारी रात अंधियारी जेल पहरेदारी देवकी विचारी कृष्ण बलिहारी लीला
Read Moreछंद शक्ति , (मापनीयुक्त मात्रिक) वर्णिक मापनी, 122 122 122 12, लगाला लगाला लगाला लगा “शक्ति छंद” पुरानी दवा है
Read More“मुक्त काव्य” सजाती रही सँवारती रही गुजारती रही जिंदगी बाढ़ के सफ़र में बिहान बहे पल-पल।। गाती गुनगुनाती रही सपने
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