दोहे
1. युग युग से प्रेम की, देखो ये ही रीत। मिल जाता सभी वहां, यहां सच्ची हो प्रीत।। 2. नैनों
Read Moreघर का बाहर का करूं, मैं महिला सब काम | फिर अबला कहकर मुझे, क्यूं करते बदनाम || मैं नाजुक
Read Moreतुम्हे गुरुर है अपने कान्हा परहम भी कुर्वान अपनी जाना पर। दिल देके भी वेवफाई मिली जिसकोफकीरा भी बने उसकी
Read Moreसहज भाव से कविता को सजाते रहिए, इस तरह अपने मन के गीत को सुनाते रहिए. विनीत भाव से अपने
Read Moreशब्द-शब्द दर्द हार, सुनो मात ये गुहार, गर्भ में पुकारती हैं, नर्म कली बेटियाँ। रोम-रोम अनुलोम, हो न जाए स्वांस
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