धरती के देवता – बिश्नोई
रेतीली धरती के तपते आँचल में,फूली प्रकृति, प्रेम के कंचन पल में।जहाँ हिरण शिशु माँ के उर से लगते,जहाँ वनों
Read Moreरेतीली धरती के तपते आँचल में,फूली प्रकृति, प्रेम के कंचन पल में।जहाँ हिरण शिशु माँ के उर से लगते,जहाँ वनों
Read Moreजिनको जो कहना है कहने दीजिये,उन्हें अपनी घमंड में रहने दीजिए,अपनी राहों में कैसे चलना है हम जानते हैं,बेफिक्री वाली
Read Moreवैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया तिथि अति विशेष,शुभ कर्मों का प्रतिफल प्राप्त होता जहां अशेष,साढ़े तीन प्रहर का अति सौभाग्यशाली मुहूर्त
Read Moreआंसू और भूख कोजो नहीं समझता है,अपना हिस्सा खा कर भीऔरों का भी झपटता है,ढो रहे हैं इनको देश दे
Read Moreएक व्यक्ति मेरा चैन चुराए बैठा हैं,मेरे दिल की धड़कन बढ़ाये बैठा है,मै उससे कुछ कहूं तो कैसे कहूंवो कहता
Read Moreरात की चादर तले, स्क्रीन पर उठता है शोर,लाहौर की दीवारें काँपती हैं, ऐसा चलता है ज़ोर।धमाकों की छवियाँ, सीजीआई
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