रिश्तों की रणभूमि
लहू बहाया मैदानों में,जीत के ताज सिर पर सजाए,हर युद्ध से निकला विजेता,पर अपनों में खुद को हारता पाए। कंधों
Read Moreलहू बहाया मैदानों में,जीत के ताज सिर पर सजाए,हर युद्ध से निकला विजेता,पर अपनों में खुद को हारता पाए। कंधों
Read Moreतेरे मेरे बीच की सभी बातें ,सखियों को मत बताया कर ,जुलफ़ों को हटा ले चहरे से ,चांदनी को भी
Read Moreहां वो जूझते आया हैप्रारंभ से आज तक औरअनवरत जूझ ही रहा है,लचर व्यवस्था से,सरकारी नीयत से,सीमित नहीं है उनका
Read Moreचेहरों पर मुस्कानें हैं,पर दिलों में दूरी है।रिश्ते हैं बस नामों के,हर सूरत जरूरी है। हर एक ‘कैसे हो’ के
Read Moreवास्तव में मैं दुखी हूँ,क्यों दुखी हूँ, ये भी खुद ही बता रहा हूँ,आपके लिए भले इसका कोई मतलब न
Read Moreआज पहली बार मैंने यमराज की दु:खी देखाइतना असहज मैंने उसे पहले कभी न देखा थाबेचारा कुछ बोल भी नहीं
Read Moreये जिंदगी है जनाबजिन्हें अपना सफरअनवरत जारी रखना होता है,जहां जिंदगी ठहर जाएवहां सफर खत्म करना होता है,सिलसिला विभिन्न चक्रों
Read Moreगुजरता हूँ जब भी कभी गांव की गलियों सेदेखता हूँ खंडहर बने वह घर जो कभी आबाद थेगिर चुके है
Read Moreमैं भी बुन रखी थीअपने सपनों की एक दुनियाएक झोंका ऐसा आयाबिखर गए सारे धागेकुछ न बचा सिवायएक रीतापन के;काश
Read More