एलिमनी के बिना तो तलाक भी नहीं होता
वसंत कई दिनों के वियोग यात्रा की थकान हो गया था सर्द बेरोजगारी के दर्द को समेटे हुए घर वापस
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Read Moreघर लौटा वसंत लगभग दस माह की अविरल यात्रा के बाद थकान, मलिनता और क्लांति के भावों को चेहरे पर
Read Moreतुम्हारे नाम ये आखिरी खत,लिख रहा हूँ दिल की स्याही में डूबो कर,शब्द कांप रहे हैं कागज़ पर,पर जज़्बात बहते
Read Moreचुनाव प्रचार तो, चलो थम गयाअब थोड़ी शांति, भी आएगीपर कड़वाहट जो,इतनी फैल गयीक्या वह कुछ, कम हो पाएगी सम्बन्ध,
Read Moreनहीं कर सकता मजबूर किसी कोमिशन की राह पर जाने को,सुप्तावस्था में सोये समाज जगाने को,इस राह में जागे जमीर
Read Moreप्रयाग राज में कुंभ लगी हैभग्तो की तो धूम मची हैअपना जीवन धन्य हो जाताचलो सखि मिल कुंभ नहाएं।गंगा यमुना
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