कविता : वो दिन
जीवन की आपाधापी से लेकर कुछ बक्त उधार लौटता हूँ जब गाँव के गलियारों में तो चाहता हूँ जी लेना
Read Moreजीवन की आपाधापी से लेकर कुछ बक्त उधार लौटता हूँ जब गाँव के गलियारों में तो चाहता हूँ जी लेना
Read Moreजब, तन में तरंग हो मन में उमंग हो खुशियों का संग हो तभी होली का त्योहार होता है. जब,
Read Moreगर अब्दुल हामिद नहीं बन सकते ,हाफिज सईद भी मत बनो , देश की शिराओ में लहू नहीं बन
Read Moreयह जीवन, कभी जय है तो कभी अजय कभी नश्वर तो कभी अक्षय कभी मधु भाषी कभी कर्कश, कभी सहज
Read Moreमधुर मधुर मधुमास खिला मन पुलकित उल्लास मिला। भासमान है सूर्य बिम्ब चल रहा साथ निज प्रतिबिम्ब। प्रकृति ओढ़ी है
Read Moreवैलेंटाइन डे मनाओ, हर रोज़, मनाओ,. . मगर अपना तरीका बदलकर. . . किसी रोते हुये बच्चे के माथे को
Read Moreआज प्रेम दिवस पर मैं उसें प्रेम करूँ जो मुझे इस काबिल बनाया कि दो शब्द कुछ लिख पाऊ ये
Read Moreमुस्कुराओ, कि मुस्कुराने से फ़िज़ाएं मुस्कुराती हैं, गुनगुनाओ, कि गुनगुनाने से बहारें गुनगुनाती हैं, मिला है जीवन जग में, कुछ
Read Moreहे ! शारदे हे, नित्य नवल शुभ्र वस्त्र आसन कमल ज्ञान विवेक का वर दो याद करूँ नैना सजल भानु
Read Moreकाम से हम नहीं थकते तुम्हारे तानों से थक जाते हैं काम तुम्हारा करके यह कौन सा सुख पाते हैं
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