बरसती बरखा
बरखा की बूँदें यूँ लगे जिमी मन के भाव रसीले ,हीरों की लड़ियों से मानो यह बह निकले,बूँदें तन को
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Read Moreमीठी सी गुदगुदी देने वाली,ऋतुराज बसंत ऋतु,मन को तसल्ली देती हुई घर आ रही है।मन को तसल्ली देती हुई,खुशियां भरपूर
Read Moreजब विलुप्त प्राणी प्रकट होउनसे मुलाकाते झटपट होकुसुम सा वाणी झरने लगेप्रचंड ग्रीष्म नीर बहने लगेदर्द को मिले तुरंत मरहमचोटिल
Read Moreसुबह-सुबह कैलेंडर पर नजर गई दिख गया वसंत! खिड़की खोलने की कोशिश की नहीं खुली, जाम के कारण। जाम की
Read Moreतुम कितनी भी कोशिश करोबिखराने की हमेंहम बिखर कर भीफिर से जुड़ जाएगे। तुम कितनी भी कोशिश करोजलाने की हमेंहम
Read Moreउमंग, उल्लास, आह्लाद, आनंद, प्रकृति रूप निखरी मनहर रंगत। नवल चेतना का रूमझुम आगाज, बहार ले फिर लौट आया बसंत।।
Read Moreमहाकुम्भ में मोनालिसा की,महकती-सी मुस्कान,चंदन-रुद्राक्ष-मोती माला बेचती,बड़ी अनोखी शान। खूबसूरत ग्रीवा वाली,लहराते हुए बड़े-बड़े झुमके,हिरनी-सी आंखों वाली,तनिक नहीं शर्माती,बात करते
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