मृत्यु का मर्म और मोक्ष का मेला
बोल उठे बाबा बागेश्वर,“मृत्यु है मृगमरीचिका भर।शरीर छूटे, आत्मा हँसे,मोक्ष वही जो भय से न डरे।” धूप थी, भीड़ थी,
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Read Moreहर आदमी त्रस्त बोलती उसकी बंद है आवाज उसकी दबा दी जाती खोलता जब भी वह जुबान है बाहर भले
Read Moreकोई पानी रख दे, कटोरे में भरकर,मैं भी जी लूं ज़रा, इस तपते शहर में।ना पुकार है मेरी किसी हैडलाइन
Read Moreपंच तत्व से बनी काया ,बड़े भाग्य से मानव तन पाया,प्रभु की कृपा से जीवन पायाजीवन तो सुख दुख की
Read Moreद्वार पर तेरे सुबह आई हुई हैभास्कर की यह छटा / सबसे निरालीमुक्त मन से सप्तरंगी फैलतीकिरणें रिझाएं । खोलना
Read Moreइन वीरान गांवों में वृद्धों की मदद को आयोग,देश के सबसे शिक्षित राज्य में ये कैसा संयोग।आज 94 फीसदी साक्षरता
Read Moreचिलचिलाती गर्मी में मटके का पानी,रुह को रूहानी सी ठंडक दे जाता है,जलते तन-मन की तपिश को मिटाकर,सौंधी खुशबू से
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