लालच का खेल
हर जगह जहाँ भी देखो,दुनिया में लालच का खेल हैमतलब के इस जहाँ में,सब लालच में अपने-आपको लगाए हुए हैं।
Read Moreहर जगह जहाँ भी देखो,दुनिया में लालच का खेल हैमतलब के इस जहाँ में,सब लालच में अपने-आपको लगाए हुए हैं।
Read Moreमेरी महफिल में अगरतुम आओ तोसारे शहर के गम ले आओउन गमों कोमेरे मुर्शद की एक मुस्कुराहट सेघायल कर जाओ।
Read Moreक्यों हम बडे़ हो गयेअपने बचपन की चंचलता कोन जाने हम कहाँ खो दिये।जब से बडे़ क्या हुए हमलगता है
Read Moreयही कटु सत्य है,मजबूत दृश्य है,नवीन प्रयास है,सटीक अहसास है। आंदोलित मन को तसल्ली देती है,अहसास दिलाने में,खामोशियों से वज़ह
Read Moreसाल का अंतिम दिवस ये कह रहा हैं आज हमसेमैं तुम्हारी भूल लेकर जा रहा लौटू न फिरसेकर प्रायश्चित भूल
Read Moreअर्द्ध छुट्टी के समय बच्चेविद्यालय के खेल मैदान में खेल रहे थे,होली की खुशियां मन में रखएक दूसरे पर धूल
Read Moreवो दुकानदार बनके,मार रहे हैं अंटीकभी हक-अधिकार कोकभी रोजी-रोजगार को।सोंचता हूँ दुकानदार बदलेगापर नही बदलता हैलुभावने वचनों में उलझाकरहमको ही
Read Moreशब्द क्यों खोने लगे हैंसोच कर हैरान हूँ ।चिंतन को वक्त नहींफिर भी परेशान हूँ।एक आदत सी हो गई हैबेवजह
Read Moreसुबह हो या शाम वो बसमसरूफ़ ही रहती है।इतवार हो या के कोई भीछुट्टी काम में लगी रहती है।उसे वक़्त
Read Moreठोकरें खाने वाले,कुछ सीख ज़रूर जातें हैं।इस इल्म को हासिल कर,मजबूत क़दम उठाते हैं।नजदिकियां बढ़ाने से,अक्सर परहेज़ करते हैं,उन्हें इसकी
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