गोबर का गीत
जहाँ पठन-पाठन की बात थी,वहाँ चुप्पी की बारात थी।कक्षा में ना विचार बचे,बस ‘आदेशों’ की सौगात थी। दीवारों पर नहीं
Read Moreजहाँ पठन-पाठन की बात थी,वहाँ चुप्पी की बारात थी।कक्षा में ना विचार बचे,बस ‘आदेशों’ की सौगात थी। दीवारों पर नहीं
Read Moreकभी रिसर्च की चुप्पी में,दीवारों पर गोबर उतरा।तो कभी प्रतिरोध की गर्मी में,वही गोबर उल्टा फेरा। मैडम बोलीं — ‘ये
Read Moreक्यों मानसिकता सबकी बदल रहीजैसे जैसे बदल रहा है ज़मानामकसद तो है इनका अशांति फैलानाघूमने आने का तो है बस
Read Moreजिसने कभी किया ही नहींजीवन की तमाम परिस्थितियों पर शोध,उनसे कैसे उम्मीद कर सकते हैं किउनके अंदर होगा कर्तव्य बोध,इसके
Read Moreतपती दुपहरी में अभी-अभी यमराज मेरे पास आयापसीने से तर-बतर यमराज को मैंने प्यार से बैठायाए. सी.- कूलर साथ-साथ चलायातब
Read Moreचिलचिलाती धूप में भागा-भागायमराज सीधा मेरे कमरे में आया,मैं सो रहा था -झिंझोड़ कर जगाया और कहने लगावाह हहहहहहह प्रभु!
Read Moreइन दिनों मेरी कविता मौन है,क्या पता इसके पीछे कौन है।शब्द, भाव, विचार के बीचअंतरद्वन्द चल रहा है,झरने की तरह
Read Moreअस्त्र, युद्ध विनाशकारी, जीव सृष्टी विध्वंसकारी, शस्त्र मीठी मुस्कान का, जीवन का प्रेम पुजारी।। रोते को हौले से हंसा देती,
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