मेरी लेखनी
मेरी लेखनी मेरा अभिमान,मैं करती इसका बहुत सम्मान, मन के भावों को लेखनी लिखती,सही गलत मतलब समझती, लेखनी हमेशा सत्य
Read Moreमेरी लेखनी मेरा अभिमान,मैं करती इसका बहुत सम्मान, मन के भावों को लेखनी लिखती,सही गलत मतलब समझती, लेखनी हमेशा सत्य
Read Moreत्रेता में धनुष उठा था जब,जनकपुरी थर्राई थी।धरा काँपी, गगन डोला,वीरता मुस्काई थी।राम ने तोड़ा जिसको छूकर,वह धनुष, वह गर्व
Read Moreये कौन लोग हैं जो मुल्क बेच आते हैं,चंद सिक्कों में ज़मीर सरेआम ले जाते हैं।न बम चले, न बारूद
Read Moreबाहर से हमला हो तो खून खौले,यहाँ तो घर के भीतर चाकू चले।सैनिक सरहद पे जान दे आया,पीछे से कोई
Read Moreटेक्नोलॉजी का यह दौर,जहाँ रिश्ते सिमटते जा रहे हैं,जहाँ उंगलियों की सरसराहट मेंममता की गर्माहट खो रही है,जहाँ नज़रों की
Read Moreमैंने देखा है,उन पत्तों को,जो आंधी में कांपते हैं,जिनकी जड़ें मिट्टी में हैं,पर मन खुली हवा का सपना देखता है।
Read Moreअभी-अभी यमराज का फोन आयाक्या ये सच है प्रभु! जो मेरे चेले ने बताया?मैंने झुंझलाते हुए कहा –मुझे क्या पता
Read Moreसुबह-सुबह मित्र यमराज का संदेश आया प्रभु! मेरे मन में आखिर ये विचार क्यों आया? आखिर हम किस पर विश्वास
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