कविता – निष्कर्ष
पढोगे तो लिखूंगी सुनोगे तो सुनाऊँगी बोलोगे तो बोलूंगी पास आओगे तो कुछ कहूँगी । कभी तो सच का सामना
Read Moreपढोगे तो लिखूंगी सुनोगे तो सुनाऊँगी बोलोगे तो बोलूंगी पास आओगे तो कुछ कहूँगी । कभी तो सच का सामना
Read Moreमाँ के कदमों में जन्नत है….. माँ की सेवा ही सबसे बड़ी होती है। माँ के कदमों में छिपी जन्नत
Read Moreजय जय सीताराम, नाम जप लो अनुसारी। रटती रसना नाम, सियापति अवध बिहारी।। राधे राधे श्याम, गीर धरि नख गिरधारी।
Read Moreठीक कहते हो तुम मैं ही तुम्हारे पीछे खिची चली आयी थी तुम छोड़ तो आये थे मुझे लेकिन मैं
Read Moreकुछ रहे ना रहे पर ,उम्मीदों का दिया जलता रहे बाकी ! गिरकर उठने की जद में , स्वाभिमान रहे
Read Moreमाँ एक शब्द नही है संसार बसता है उसमें, अपने खून से सींचकर हमे जीवन देती है, कितनी भी मुश्किलें
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