असहजता….
सहज नहीं प्रेम की व्याख्या ! जब भी चाहा मन अपने भीतर होती क्रियाओं प्रेम की दिव्य अनुभूतियों को शब्दों
Read Moreआओ मिलकर पौध लगाएँ पौधों का लम्बा मेड़ बनाएँ मेड़ों के ठीक नीचे हों पौधे पौधो के बाजू पौध लगाएँ
Read Moreतू चल कि तेरी हथेलियों को बहुत से पत्थर निचोडने हैं , तू चल की तेरी बेबसी को बहुत से
Read Moreशिव शिव बोल बोल जै बम बम बोल बोल जै। शुभ दिन सोमवार है कल कल गंग धार है।। प्रति
Read Moreहमने भी उन चेहरे में सुकून ढूंढ़ लिया जिनका बचपन न जाने कहाँ खो गया है हर रोज उस मासूम
Read Moreज्यों गगन में चान्द चमके बेटी चमके आंगना में बेटिया साडी का आंचल बेटिया आंखों का काजल बेटिया चूडी की
Read More” ———– सफ़र अभी बाक़ी है ” !! हंसी अभी साथी है , सफ़र अभी बाकी है !! टेढ़ी मेढ़ी
Read Moreसच कहूं तो ! श्रृंगार के नाम पर मुझे चुरी, सिंदूर, बिंदी के सिवा कुछ और भाता नहीं नहीं कर
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