बाल कहानी : बादल और बच्चे
सावन का आठवाँ दिन था। सुबह की स्वर्णिम धूप बड़ी रमणीय थी। दोपहर होते तक वातावरण उमस हो गया। शाम
Read Moreसावन का आठवाँ दिन था। सुबह की स्वर्णिम धूप बड़ी रमणीय थी। दोपहर होते तक वातावरण उमस हो गया। शाम
Read Moreचिड़िया-रानी, चिड़िया-रानीपास हमारे, तुम आ जाओ नबिना तुम्हारे घर-आँगन सुनातुम आ-आ के सजा जाओ न। तुम हो कितनी चंचल-शर्मीलीहमसे तुम
Read Moreहाथी भालू चीता बंदर।बैट बॉल लेकर आए।।हिरण लोमड़ी बारी–बारी।दोनों तब टीम बनाए ।। सूंड उठाकर बॉल उछाले।खुश हो कर दादा
Read Moreसब कहते हैं मुझको घण्टा।पिट-पिटकर क्या मिलता घण्टा? जो भी मंदिर में घुस आता,सबसे पहले पिटता घण्टा। बहरे हैं क्या
Read Moreलो आ गई देखो जुलाई,बच्चों को हो गई स्कूलों में छुट्टियां,लेकर बड़े-बड़े रजिस्टर कर दो शुरू पढ़ाई।नानी के घर जाना
Read Moreबांधा तालाब के किनारे एक बहुत बड़ा बरगद का पेड़ था। मोटे व गठीले तने पर मोटी-मोटी शाखाएँ निकली हुई
Read Moreअपने गांव में आते झूले।सबके मन को भाते झूले। भिन्न-भिन्न जातों-पातों में।प्रभातों एंव रातों में।लौकिक नगमे गाते झूले।अपने गांव में
Read Moreउमड़ -घुमड़ कर बादल आयेपानी की रिमझिम बौछारें लाये बिजली चमकी, बिजली गरजीकब तक बरसेगा, बादल की मर्जी भीग गये
Read Moreखुब हुआ अब घूमना फिरनाचलो स्कूल की तैयारी करलोकॉपी पुस्तक कलम समेट करबैग-यूनिफार्म की खोज करलो। सैर-सपाटा और धमा-चौकड़ीनानी घर
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