बालकविता “हरी मिर्च”
तीखी-तीखी और चर्परी। हरी मिर्च थाली में पसरी।। तोते इसे प्यार से खाते। मिर्च देखकर खुश हो जाते।। सब्ज़ी का
Read Moreतीखी-तीखी और चर्परी। हरी मिर्च थाली में पसरी।। तोते इसे प्यार से खाते। मिर्च देखकर खुश हो जाते।। सब्ज़ी का
Read Moreमौसम कितना हुआ सुहाना। रंग-बिरंगे सुमन सुहाते। सरसों ने पहना पीताम्बर, गेहूँ के बिरुए लहराते।। दिवस बढ़े हैं शीत घटा
Read Moreकितना अच्छा होता ममी! हर दिन जो चॉकलेट डे होता, तुम दे देती चॉकलेट मुझको, जब भी मैं रूठकर रोता. बार-बार
Read Moreलगा हुआ है इनका ढेर। ठेले पर बिकते हैं बेर।। रहते हैं काँटों के संग। इनके हैं मनमोहक रंग।। जो
Read Moreइस धरती की कठिन डगर पर, आगे बढ़ते जाएंगे साहस के पुतले बनकर हम, जग को स्वर्ग बनाएंगे- आज हमारी
Read Moreसतयुग, त्रेता, द्वापर बीता, बीता कलयुग कब का, बेटी-युग के नए दौर में, हर्षाया हर तबका। बेटी-युग में खुशी-खुशी है,
Read Moreकहा मोर ने Good Morning, देता हूं मैं Best Warning, सुबह जल्दी नहीं जगे तो, बन न सकोगे के Mom
Read Moreदेश हमारा एक है बच्चो, अलग-अलग हों चाहे धर्म, अपना-अपना धर्म पालते, करते रहना है शुभ कर्म. रहते हिंदू इस
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