कृष्ण विरह(मनहरण कवित्त)
जब ते निहारा तोरा,चंदा सा सुहाना मुख, मोरे जियरा में जाने, कैसी लगी आग है | ऐसी में मगन भई,
Read Moreजब ते निहारा तोरा,चंदा सा सुहाना मुख, मोरे जियरा में जाने, कैसी लगी आग है | ऐसी में मगन भई,
Read Moreआशुतोष वर देते, सारी पीड़ा हर लेते, सुरासुर देव शिव, सर्वहितकारी है | तन पे लगाएं भस्म, शिखर सजाएं चन्द्र,
Read Moreमापनी -१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ बहन का प्यार है राखी जहाँ नित मर्म कहता है लगाया प्राण की बाजी हुमायूँ
Read Moreअमर वीरता कुर्बानी, देश हुआ आजाद प्रतिपल ताजी याद में, सीमा है आबाद सीमा है आबाद, सिपाही सीना ताने हर
Read Moreमन को मरोड़ तोड़, विषयों को पीछे छोड़, मन को बनाके दास, मन पर राज कर | मन सदा भरमावें,
Read Moreघन -घन गरजत, कारे मेघ बरसत, जियरा में बहुतहि ,अगन लगावै है दम -दम दमकत, चंचल बिजुरिया जो, तडपत मनुआं
Read Moreनाचत, गावत शोर मचावत, बाजत सावन में मुरली है भोर भयो चित चोर गयो भरि, चाहत मोहन ने हर ली
Read Moreसफ़र में सफर की चिंता करने से क्या बात बनेगी? छाले पड़ेंगे, बढ़ेंगे, फूटेंगे और फिर ठीक भी हो जाएंगे.
Read Moreकाट डालो जड़ उस, वृक्ष की हवाओ में जो देश की नफ़रतों के ज़हर को घोलता आपस में लड़ रहे,
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