कुण्डली/छंद

चंद यमक शेर

सफ़र में सफर की चिंता करने से क्या बात बनेगी?
छाले पड़ेंगे, बढ़ेंगे, फूटेंगे और फिर ठीक भी हो जाएंगे.

 
वो कहते हैं, ”हम मोबाइल के बिना मोबाइल नहीं रह सकते,
याद करो वो ज़माना, जब फोन भी नहीं था, बिंदास हो जाओगे.

 
चश्मों को तनिक देर तो चश्मों से दूर रहने दो,
उनको भी प्राकृतिक विटामिन डी से भरपूर रहने दो.

 

नज़र को नज़र न लग जाए, ध्यान रखिएगा,
कुछ औरों के हित की बात करिएगा, कुछ अपना मान रखिएगा.

 

यमक अलंकार में एक शब्द का प्रयोग एक से अधिक बार होता है, पर एक ही शब्द एक से अधिक अर्थों में प्रयुक्त होता है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

8 thoughts on “चंद यमक शेर

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत सुन्दर रचना लीला बहन .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, अति सुंदर, अनमोल, मार्गदर्शक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

    • लीला तिवानी

      रूपक अलंकार में हाइकु-
      ”प्रेम की पाती
      नित-नित लिखती
      भेज न पाती.”

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    प्रणाम बहन जी सुंदर अलांकारित सृजन

    • लीला तिवानी

      प्रिय राजकिशोर भाई जी, आप तो खुद छंदों के बादशाह हैं. अति सुंदर, अनमोल, मार्गदर्शक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

    • लीला तिवानी

      नज़र को नज़र न लग जाए, ध्यान रखिएगा,
      कुछ औरों के हित की बात करिएगा, कुछ अपना मान रखिएगा.

  • मनमोहन कुमार आर्य

    बहुत अच्छी विचारोतेजक पंक्तियाँ। सादर नमस्ते बहिन ही एवं धन्यवाद्।

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, अति सुंदर, मार्गदर्शक व सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

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