क्षणिकाएँ
1- कल्पना का संसारकल्पना से आकांक्षा उपजै,आकांक्षा से आविष्कार,आविष्कार से फिर आकांक्षा हो,आकांक्षा से कल्पित संसार।कल्पना के संसार को,अल्पना का
Read Moreन खुला अम्बर न खुली छत है चाँद मुस्कुरा रहा फेंक रहा अपनी चांदनी बरसा रहा अमृत कैसे पाऊं यह
Read Moreकपड़े की छतरी में छेद हो जाए,तो दर्जी-रफूगर रफू कर देते हैं,रिश्तों में छेद हो जाए,तो दोस्त अच्छे रफूगर सिद्ध
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