क्षणिका
हमनें रोज बदलते देखा इंसा को उसके लहजे उसकी बातों को
Read Moreन खुला अम्बर न खुली छत है चाँद मुस्कुरा रहा फेंक रहा अपनी चांदनी बरसा रहा अमृत कैसे पाऊं यह
Read Moreकपड़े की छतरी में छेद हो जाए,तो दर्जी-रफूगर रफू कर देते हैं,रिश्तों में छेद हो जाए,तो दोस्त अच्छे रफूगर सिद्ध
Read Moreपहले मिलते थे वो बड़ी गरमजोशी से न जाने कैसी ब्यार चली जो रूख बदल गया सनम तुम चाहो तो
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