योग की ओर
चारों तरफ है, बस एक, ही शोरएक कदम बढ़ाएं,योग की ओर।। कुंठा, निराशा, सब, मिट जाएगीजीवन में, खुशहाली, बिछ जाएगीहर्ष
Read Moreबचपन के वो दिन आज याद आएकितने बेपरवाह मस्तमौला थे हमशैतानियों के वो सारे पल याद आए टिकते नहीं थे
Read Moreशूल-पत्थर की डगर है तेज़ धाराएँ-भँवर हैंसामने भूधर खड़ा है शत्रु बन तूफाँ अड़ा हैधूल पलकें मूँदती है पग को
Read Moreरौंदा अपने अधीनस्थ कोकैसी बेढब रीति चली है। छोटी मछली को खा जातींबड़ी मछलियाँ बीन -बीन कर।कुचले जाते नित गरीब
Read Moreबेटी को हम बेटी समझें, भार मान क्यूँ बैठे हैं। कोरे हम आदर्श बखानें, व्यर्थ ही उससे ऐंठे हैं।। जिस
Read Moreजहाँ चाहो तुम, रहो वहाँ पर, साथ की, ना मजबूरी है। स्वस्थ रहो, और व्यस्त रहो, कुछ मस्ती भी तो
Read Moreसब कहते काली, काली है, वह, कानूनन घरवाली है। सुधा समझ जिसे, पीने चले थे, निकली विष की प्याली है।।
Read Moreतुमने जीना सिखलाया था, तुम बिन जीना सीख न पाए। कविता अब लिखते हैं केवल, तुम बिन हमने गान न
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