शीलहरण की कहे कथाएँ
महाभारत हो रहा फिर से अविराम।आओ मेरे कृष्णा, आओ मेरे श्याम॥ शकुनि चालें चल रहा है,पाण्डुपुत्रों को छल रहा है।अधर्म
Read Moreमहाभारत हो रहा फिर से अविराम।आओ मेरे कृष्णा, आओ मेरे श्याम॥ शकुनि चालें चल रहा है,पाण्डुपुत्रों को छल रहा है।अधर्म
Read Moreसिन्धु-तीर पर लोगों की अठखेली देख रहा हूँ।मस्ती करते अलबेले-अलबेली देख रहा हूँ।। दूर क्षितिज से आकर लहरें कितना इठलाती
Read Moreगया बीता हुआ बचपनभुलाया ही नहीं जाता। न भाता था मुझे पढ़नासदा ही मस्त खेलों मेंनहीं स्कूल मैं जाताभ्रमणता खेत
Read Moreजरूरी नही है , कि हर, बात परप्रतिक्रिया, व्यक्त, करी ही जाए।। क्यों न कभी कभी,चुप रहकर भीसम्बन्धों की, दरारें,
Read Moreलेखनी तू खुलके बोल हिय तराजू तौल बोल,असंख्य प्रतिबिंब धरे तेरा जीवन है अनमोल। प्रखर प्रताप हिय समाये कुंठाओं में
Read Moreलेकर नव उल्लास द्वार पर आया है ऋतुराजरंग बिरंगे पुष्प सुवासित धरा सजाए साज अमराई भर गई बौर से हर
Read Moreजल की बूंदें जीवन धाराजल से जीव जगत है सारा।जल से है जग में खुशहालीजल से धरती में हरियाली।हृदय में
Read Moreमैं तिरँगा तीन रंग का चौथे रंग में रंग जाता हूँलेकर लहू लाल रंग लाल की बलि चढ़ाता हूँकोख कलाई
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