गीत/नवगीत

गीत/नवगीत

गीत – तेरे जैसा दुनियां में इन्सान नहीं

उर्वर भूमि के मालिक उद्यमी कृषक सुन।नींव के सृजक प्रभाकर श्रमिक सुन।तेरे खून पसीनें में तो सूरज है।सुन्दर काएनात तिरी

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