दोहे
मां के आँचल में मिले, माया, स्नेह, दुलार।मीठी लोरी मात की, मनभावन झंकार।। पात शाख से हो विलग , मिले
Read Moreसंसद में मचता गदर, है चिंतन की बात।हँसी उड़े संविधान की, जनता पर आघात।। भाषा पर संयम नहीं, मर्यादा से
Read Moreरहना पत्थर बन नहीं, बन जाना तुम मोम।मानवता को धारकर, पुलकित कर हर रोम।। पत्थर दिल होते जटिल, खो देते
Read Moreक्यों लगे हो मिथ्याओं के पीछे माला जपने,जरूर देखिये सुखद भविष्य के सुंदर सपने,खुद बढ़ना है तुझे आगे साथ नहीं
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