मुक्तक
मृत्यु शाश्वत है पर क्यों मरूँ,मृत्यु से पहले बातें क्यों करूँ?जब कभी आयेगी आती रहे,कब आयेगी सोच क्यों डरूँ? कौन
Read Moreचिंता कल की ना करो, खोज न कोई सार। मुस्काकर तू प्रेम से, आगे बढ़ ले यार।। जिसको शत्रू समझता,
Read Moreछला तुमने हमारा दिल, मदन तुम हो बड़े छली।हमारा मन क्या उपवन है, बने फिरते हो तुम अलि।जहाँ पाते हो
Read Moreजीवन में हर सख्श का ,आभारी हूँ यार ,जिनसे सीखा था कभी ,लोकचार व्यवहार। दुश्मन जी को शुक्रिया ,जिनसे पाया
Read Moreरोज देखना पड़ता है जातिय हिंसा के नजारे,क्या देश चला पाओगे इस तिकड़म के सहारे,बड़े बड़े तुर्रमखां भी नहीं बचा
Read Moreजल की पहली बूँद ने,गाया मंगल गीत।कृषकों की तो बन गई,वर्षा अब मनमीत।। जमकर बरसो आज तुम,ऐ बदरा मनमीत।धरती के
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