बचपन का गाँव
ठण्डी-ठण्डी छांव मेंउस बचपन के गाँव मेंमैं-जाना चाहती हूँ।तोडऩा चाहती हूँबंदिश चारों पहर की।नफरत भरी येजिन्दगी शहर की॥अपनेपन की छायामैं
Read Moreठण्डी-ठण्डी छांव मेंउस बचपन के गाँव मेंमैं-जाना चाहती हूँ।तोडऩा चाहती हूँबंदिश चारों पहर की।नफरत भरी येजिन्दगी शहर की॥अपनेपन की छायामैं
Read Moreरूप सुधा का पान करा दो प्रियतम,तृप्त हो तीर्थ बन जाएगा ये मन।1। रोम-रोम आह्लादित, उर प्रेम विकसित,चमकता दमकता, अलौकिक
Read Moreकलिकाल की छाई चहुं ओर रंगत,मानव क्यों करें तू दुष्टों की संगत,मानवता का यहां क्षरण हो रहा हैं,इंसान दुःखों से
Read Moreआई है शरद ऋतु छाई सिहरन है।प्रकृति में दिखते छबि कणकण है।फूल-कली तरुवर दिखते मगन है।हरी-भरी तृण में मोती कण-कण
Read More