गीतिका – धूल लदी मन पर है भारी
सब कुछ बदल रहा क्षण-क्षण में।प्रभु का वास यहाँ कण-कण में।। शांति नहीं मानव को प्यारी,जुटा हुआ पल – पल
Read Moreसब कुछ बदल रहा क्षण-क्षण में।प्रभु का वास यहाँ कण-कण में।। शांति नहीं मानव को प्यारी,जुटा हुआ पल – पल
Read Moreत्यागकर व्यग्रता को अब तुम,मनन करना शुरु करो।कठिन परीक्षा अभी बहुत है,मन को तुम धीर करो।खोल कर ईक्षण को अपने,आप
Read Moreकभी जो भर जाएं आंखें,हाल दिल का लिख देना तुम।कभी जो कहने को हो बहुत,तुम कह न पाओ वो सब
Read Moreअच्छे वक्त के इंतजार में ये बुरा वक्त भी गुजर जाएगालेकिन उसमे उपजा धैर्य फिर कहां से आएगा ! ख्वाहिशो
Read Moreप्रयागराज में छाई अनुपम अद्वितीय बहार,पा लो पवित्रता की “आनंद” दिव्यतम धार,शुरू होने वाला है विशेष महाकुंभ स्नान,कर लो चितमन
Read Moreसच्चाई की कद्र नहीं परझुठे का बोलवाला हैप्यासे की ग्लास है खाली परशराबी के हाथ भरा प्याला है कैसा है
Read Moreदीये से बाती रुठी, बन बैठी है सौत।देख रहा मैं आजकल, आशाओं की मौत॥ अपनों से जिनकी नहीं, बनती ‘सौरभ’
Read Moreतुमने पथ ही मोड़ दिया जिस हाथ से हाथ था पकड़ा, तुमने हाथ वह तोड़ दिया। जीवन पथ पर साथ
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