सूरज आँखें दिखा रहा है
सूरज आँखें दिखा रहा हैधरती से नाराज बड़ा। सिमट गई है छाँवपेड़ के पाँव तलेमुरझाए हैं गाँवतपन के दाँव चलेकंकड़
Read Moreसूरज आँखें दिखा रहा हैधरती से नाराज बड़ा। सिमट गई है छाँवपेड़ के पाँव तलेमुरझाए हैं गाँवतपन के दाँव चलेकंकड़
Read Moreमनुज-देह दृढ़ एक किला।बड़े भाग्य से तुम्हें मिला।। नौ दरवाजे सभी खुले,एक फूल जो नहीं खिला। आए- जाए श्वास युगल,होता
Read Moreमन रहता बदहवास सा तेरे बगैर अब,लगे बुझी बुझी सी शाम तेरे बगैर अब। खिड़की से ताकते रहते सुदूर चांद
Read Moreफूल चढ़े हर मोड़ पर, भाषण की झंकार।बाबा तेरे नाम पर, सत्ता करे सवार॥ मंच सजे, माला पड़े, भक्तों का
Read Moreहर चौक-चौराहे पर अब, सजती है एक माला,बाबा साहब की तस्वीरें, और सस्ती सी दीवाला।नेता भाषण झाड़ रहा है, मंच
Read Moreएक अनजान बने हुए लोगों को,इसकी अहमियत नहीं होती है।कुछ हमदर्दी जताते हैं,कुछ लोग इसके लिए,बस जिंदगी की खुशियां खत्म
Read Moreभारत मां का रूप निराला, आभा इसकी निराली है।बर्फ से ढके पहाड़ इस के, नदियों से हरियाली है। किसान करते
Read Moreक्यों जलियाँ की चीख सुन, सत्ता है अब मौन?लाशों से ना सीख ली, अब समझाये कौन॥ डायर केवल नाम था,
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