एषणा
एषणा ये मेरी जरा सुन तो सखे परिरम्भण में तेरे तू मुझे रखे प्रेम का मृदु संवाद हो जाएगा आ
Read Moreसाहित्य का गुलज़ार बनाया पातर ने। एक अलग संसार बनाया पातर ने। सृजन वाली शक्ति भक्ति उस में थी, बिम्बों
Read Moreलोग तन्हाई में आँसू बहाते होंगेयाद कर मांजी को दिल भी जलाते होंगेमेरे मुकद्दर में उजाले की किरन कहाँलोग बेकार
Read Moreमरा हुआ आदमी सबसे पहले मरने का इंतजार करता है, होते भी है या नहीं वो आत्मा भी मर जाती
Read Moreशहर तो सारे भर गए मित्रो खाली हो गए अब तो गांव पैसे देकर मिलता सब कुछ नहीं मिलती पीपल
Read Moreसूर्य उदय हो जैसे ही लोगों सूरज को नमस्कार करो प्रकृति से सीखना चाहिए हमे कि कैसे परोपकार करो जीवन
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