मेरी लेखनी
मेरी लेखनी मेरा अभिमान,मैं करती इसका बहुत सम्मान, मन के भावों को लेखनी लिखती,सही गलत मतलब समझती, लेखनी हमेशा सत्य
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Read Moreत्रेता में धनुष उठा था जब,जनकपुरी थर्राई थी।धरा काँपी, गगन डोला,वीरता मुस्काई थी।राम ने तोड़ा जिसको छूकर,वह धनुष, वह गर्व
Read Moreकहाँ हैं वो जो कहते थे, उजाले बाँट देंगे,यहाँ तो चीखते सपने, अंधेरे काट देंगे। किताबें हैं मगर उर्दू-संस्कृत की
Read Moreये कौन लोग हैं जो मुल्क बेच आते हैं,चंद सिक्कों में ज़मीर सरेआम ले जाते हैं।न बम चले, न बारूद
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