कविता
इन बूंदों को पकड़ कर रो लूंजी चाहता है कि तेरी यादों से,मैं भी आज, लिपट कर रो लूं।दामन तेरा
Read Moreगीदड़ की जब मौत है आतीउसको शहर की ओर है भगातीखून से रंगे है जिन आतंकियों के हाथचैन की नींद
Read Moreअनुत्तरित प्रश्न, अनसुलझी समस्याएँ, रिश्तों के रिसते घाव जीने का बिखर गया चाब। कदम-कदम बिछी बाधाएं, शारीरिक-मानसिक व्याधाएँ, विश्वास से
Read Moreमुझे कुछ भी याद नहींकिस दिशा से आये दुराचारीनियत के खोंट व्यभिचारीउसके चेहरे का रंग भी याद नहींकिस रोगन के
Read Moreवर्दी पहन के टोपी तान के, कदम फौलादी बढ़ता।हिंद देश के वीर देख के, दुश्मन का दिल धड़का।राफेल, अर्जुन, नाग
Read Moreसफाया करना होगा हमें डर के सांये का,वर्षों से उत्पाद मचा रहे कालकूट पायें का,अस्त्र-शस्त्रों को धुआंधार चलाना ही होगा,दुश्मन
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