मुक्तक
1पाकिस्तानी सेना का अब,कण- कण चकनाचूर कियापहलगाम की कायरता का ,बदला भी भरपूर लियासभी ठिकाने ध्वस्त किये हैं ,मार गिराये
Read Moreपहलगाम की धरती काँपी,जब मासूमों पर वार हुआ,पर्यटकों की हँसी बुझा दी,आतंकी हमला शर्मसार हुआ। भारत चुप ना बैठा था
Read Moreसिर्फ सिंदूर से क्या होगा,आग अभी सीने में बाकी है।खून में जो लावा बहता है,उसमें हल्दी की तासीर बाकी है।
Read Moreहाहाकार मचा हुआ हैआतंकी आकाओं की टोली मेंमुंह छुपाते फिर रहे अब सारेइतनी ताकत है भारत की गोली में ‘सिंदूर’
Read Moreअपने रस्ते पे आने का,अपने रस्ते पे जाने का,मन किया तो कभी कभीशान पट्टी भी दिखाने का,इस दुनिया में शरीफों
Read Moreथोड़ी बेचैन सी, घबरायी हुईन जाने क्या होगान जाने क्या पूछेंगेन जाने क्या कहेंगेहैरान-परेशान सीअपना भविष्य बुन रहीअतीत में झांक
Read Moreयुद्ध की आहट से लौटते कदम,वो वीर, जो सीमाओं का श्रृंगार हैं,छुट्टियों से अपने कर्तव्य की ओर,बिना आरक्षण, बिना थके,
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