पीडा
जन गण मन क्रंदित हुआ, पीडा दर्द अपार। आतंकी वे थे कहाँ, ढूँढो हर घर द्वार।। ढूँढो हर घर द्वार,
Read Moreसम्मान तुम्हारा तब तक रहेगा,जब तक स्वाभिमान न डिगेगा।यदि ठेस पहुंची मेरे मान को,फिर नमन नहीं अपमान मिलेगा। झुकना विनम्रता
Read Moreकभी जो कलम थी आग सी,अब फ़िल्टरों में खो गई।जो चीखती थी अन्याय पर,वो चुपचाप अब सो गई। न सवाल
Read Moreतुम्हारे घृणित अहंकारों सेऊपर नहीं उठना चाहता हूं,अवसर आए तो भी मैंतुम्हारे ऊपर नहीं मूतना चाहता हूं,तुम्हारे मन मस्तिष्क कोकब्जाना
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