स्वतंत्रता का स्वप्न
नारी की स्वतंत्रता की धारा,चली हर मन में इक विचार सा।बंधनों से बंधी नहीं वह,स्वतंत्रता का है अब ख्वाब हमारा।
Read Moreनारी की स्वतंत्रता की धारा,चली हर मन में इक विचार सा।बंधनों से बंधी नहीं वह,स्वतंत्रता का है अब ख्वाब हमारा।
Read Moreमाना अनेक बाधाएं हैं चट्टान तोड़ते बढे चलो।आतंकी सर जितने आएं,गर्दन मरोड़ते बढे चलो। जिन आतंकी मस्तिष्को में ख़ूनी विचार
Read Moreवैशाख की उजली बेला आई,धूप सुनहरी देहरी पर छाई।अक्षय तृतीया का मधुर निमंत्रण,पुण्य-सुधा में डूबा आचमन। न मिटने वाला पुण्य
Read Moreजहां भी देखो हर तरफ हो रहा है ब्यापारखबरें कम पैसे का धंधा बन गया है हर अखबारसकारात्मकता गुम है
Read Moreवादा तो कर गए मगर निभाये कौन।जलती है आग मगर इसे बुझाए कौन।अमीरे शहर की सब करते हैं हिमायत।मुफलिसी को
Read Moreजीवन में आगे चलते जाना हैराहों में तूफान बहुत आते हैउसने बचने का हुनर सीखना हैसफर पर हमेशा बढ़ते जाना
Read Moreजय जय परशुराम प्रभु, धरम के दीप जलाओ,अन्याय के घोर अंधेरे में, फिर से ज्योति जगाओ।। कण-कण में करुण पुकार
Read Moreरेतीली धरती के तपते आँचल में,फूली प्रकृति, प्रेम के कंचन पल में।जहाँ हिरण शिशु माँ के उर से लगते,जहाँ वनों
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