कविता

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विलक्षण साध्वी प्रमुखा- कनकप्रभा जी

पिता सूरजमल जी एवं माता छोटी बाई की सुताकुशाग्र , बुद्धि, विवेकशील कलातेरापंथी साध्वियों में अग्रिम पंक्ति पद हासिल किया,साध्वी

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कविता

अपने अस्तित्व का भान है प्रेम

प्रेम व्याप्त है जग में यहां-वहां-सर्वत्र,प्रेम ही बनाता-बनवाता है इष्ट-मित्र,प्रेम-सा नहीं है अनमोल भाव इस जहां में,प्रेम ही है सबसे

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