कविता

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कंक्रीट का जंगल

कट रहा है वो सुंदर सामनमोहक नजारों वाला जंगल,मरेंगे समस्त जीव-जंतु,आदिवासीऔर होगा धनकुबेरों का मंगल,पनपते जाएंगे बहुत ही घनाकंक्रीटों का

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कविता

समय का बदलाव

सब कुछ बदल जाता हैवक़्त के साथप्रतिष्ठा, परंपरा, मर्यादामगर नहीं बदलताव्यक्ति का व्यक्तित्व। सब कुछ चला जाता हैवक़्त के साथअपने,पराये,हमराहीमगर

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