मावठा
सर्दी की पहली बरसातउपवन में छाईमहीनों के बाद बाहर। छाई हरियाली खेतों मेंऔर छिटकी सूर्य कीपहली लाल किरणबागों में। दूर
Read Moreगरीब झोपड़ियों में बसी है दर्द भरी तन्हाई,सर्दी से बचने के लिए नहीं है एक भी रजाई,जीवन जीने की अंतहीन
Read Moreलडखडाते पैरहिलते हुये हाथहर रिश्ते में जैसेहो गये हैं अनाथ झुकी हुई गर्दनवाक् मौन सीपूछने में अशक्तजिंदगी कौनसी सपने अधूरे
Read Moreनव वर्ष की शुभ बेला आई,संग में खुशियों की सौगात लाई।भूलें ग़म और बीते पल,नए सपनों को ले कर चल।आसमान
Read Moreहर खुशी को तेरे लिए संभाल रखा है।तुम क्या हो पता है,मुझेइसलिए सभी को जिंदगी से टाल रखा है।। तेरे
Read Moreज़िद, घमंड ,जुबान और अंहकार को,नज़रों से गिरा मानकर,एक महफ़िल में आनेवाले लोगों को,कुछ समझाने की कोशिश करती है।घर टूटने
Read Moreइंसान हूं इंसान होने की अहमियत परखुलकर फक्र करना चाहता हूं,गगन में उड़ते मानसिकता में रहना चाहता हूं,ये सब मुझे
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