बाल कविता
नटखट बच्चे नटखट खेल कभी झगड़ते करते मेल इधर उधर ये खूब दमकते खेलों का नएं सृजन करते लुका छिपी
Read Moreगुनगुन करता भौंरा आया फुल कलियों को है रिझाया। चूँ-चूँ करती चिड़िया आईं सुबह का संदेशा ले के आईं। रंग-बिरंगी
Read Moreजंगल के राजा शेर ने एक सभा बुलाई । प्रहलाद की भक्ति होली की बात बताई ।। हम सभी खेलेंगे
Read Moreलल्ला के गाल रंग से हुए लाल । गली – गली में मचा रहे धमाल ।। उडा रहें गुलाल लगा
Read Moreप्रेमरंग की बौछार रंगपंचमी सद्भाव की बहार रंगपंचमी । आनंद मय हो जीवन हमारा ऐसी शुभकामना है रंगपंचमी ।। गेर
Read Moreरुई से नरम बादल कितने अच्छे हैं । धुआं से सफेद बादल बने लच्छे हैं ।। उमड़ – घुमड़ नभ
Read Moreखो गया है बचपन मेरा, नफरत की दीवारों में, कहां रहा है इतना ताप अब, जलते हुए अंगारों में! जब
Read Moreलगा हुआ है इनका ढेर।ठेले पर बिकते हैं बेर।।—रहते हैं काँटों के संग।इनके हैं मनमोहक रंग।।—जो हरियल हैं, वे कच्चे
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