अम्मा चलें आज अमराई
अम्मा चलें आज अमराई।झूलें झूला बहना – भाई।। नभ में घटा उमड़कर आई।हवा चली ठंडी पुरवाई।।यहाँ वहाँ छाया भी छाई।अम्मा
Read Moreअम्मा चलें आज अमराई।झूलें झूला बहना – भाई।। नभ में घटा उमड़कर आई।हवा चली ठंडी पुरवाई।।यहाँ वहाँ छाया भी छाई।अम्मा
Read Moreलहराती पतंग झूम-झूम, नीले आसमां को चूम-चूम, बादलों संग इतराती, इधर-उधर, नाचे घूम-घूम।। साथियों संग गुनगुनाती, डोर संग सहर्ष बंध
Read Moreसड़कों पे पानी भरा ,चली कागजी रेल ,आओ हमतुम खेल लें ,बचपन वाले खेल। —रिमझिम जी का शोर है ,बादल
Read Moreजून विदा आ गई जुलाई।ऋतुओं की रानी अब आई।। नहीं धूप लू गरम हवाएँ,हुई तपन की पूर्ण विदाई। रिमझीम -रिमझिम
Read Moreसड़क किनारे बिजली खंभे। पड़ते बच्चे लगे अचम्भे।। शहर शहर अरु गांँव गांँव में।खड़े रहे ये एक पांँव में।। वायर
Read Moreबालकविता “कागा जैसा मत बन जाना” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)ॉ—बारिश से भीगा है उपवनहरा हो गया धरती का तन—कोयल डाली-डाली डोलेलेकिन
Read Moreछुक छुक रेल चली है ठंडी मीठी हवा घुली है।१ पहिया मोटे चलते हैं। पटरी देख मचलते हैं।२ काली है
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