बाल कहानी – संगति का असर
बहुत पुरानी बात है। बोरसी नामक एक घना जंगल था। वन की दक्षिण दिशा में किरवई नदी बहती थी। नदी
Read Moreबहुत पुरानी बात है। बोरसी नामक एक घना जंगल था। वन की दक्षिण दिशा में किरवई नदी बहती थी। नदी
Read Moreजून विदा आ गई जुलाई।ऋतुओं की रानी अब आई।। नहीं धूप लू गरम हवाएँ,हुई तपन की पूर्ण विदाई। रिमझीम -रिमझिम
Read Moreबालक का संसार में आकर प्रथम रुदन सूर्योदय के साथ चिड़ियों का कलरव गाय का अपने बछड़े के लिए रम्भाना
Read Moreसड़क किनारे बिजली खंभे। पड़ते बच्चे लगे अचम्भे।। शहर शहर अरु गांँव गांँव में।खड़े रहे ये एक पांँव में।। वायर
Read Moreबालकविता “कागा जैसा मत बन जाना” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)ॉ—बारिश से भीगा है उपवनहरा हो गया धरती का तन—कोयल डाली-डाली डोलेलेकिन
Read Moreबरसात का मौसम था। सर्द हवा चल रही थी। आकाश में काले-काले बादल छाए हुए थे। आज शिखा और शिखर
Read More1 कहलाता सब्जियों का राजा बजे वर्षभर मेरा बाजा खाओ सब्जी, टिक्की-कचालू गोल हूँ मैं, पहचानो लालू 2 कच्चा हरा
Read Moreरामपुर में अमर नाम का एक सीधा-सादा, होनहार लड़का रहता था। एक दिन विद्यालय से लौटते समय रास्ते में उसने
Read Moreकिसी जंगल में एक शेर रहता था। नाम था उसका- शेरसिंह। उसे अपने बल का बड़ा घमंड था। वह प्रतिदिन
Read More// भुलक्कड़ मामा // हर बार की तरह इस बार भी अमर अपने माता-पिता और छोटी बहन के साथ होली
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