धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

धर्म-संस्कृति-अध्यात्मविज्ञान

सृष्टि उत्पत्ति विषयक वैदिक सिद्धान्त और महर्षि दयानन्द

ओ३म् सृष्टि की उत्पत्ति के विषय में महाभारत काल के बाद उत्पन्न मत-मतान्तरों के साहित्य में अनेक प्रकार की अवैज्ञानिक

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

अविद्यायुक्त असत्य धार्मिक मान्यताओं का खण्डन और आर्यसमाज

ओ३म् महर्षि दयानन्द प्राचीन वैदिक कालीन ऋषियों की परम्परा वाले वेदों के मंत्रद्रष्टा ऋषि थे। वह सफल व सिद्ध योगी

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मलेख

इन्सान ईश्वर क्यों पूजता है ?

  भूल जाते है इन्सान कि मृत्यु अटल है हर कोई यहाँ मृत्यु की पंक्ति में खड़ा है क्रमागत मृत्योंमुखी

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

बौद्ध धर्म हिन्दु मत के कितना निकट कितना दूर

हिमालय की निचली तराई के कपिल वस्तु राजघराने में उत्पन्न बालक का नाम सिद्धार्थ रखा गया। गौतम नाम उनके प्राचीन गौतम

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

महर्षि दयानन्द और उनका विश्व के कल्याण का अपूर्व कार्य

ओ३म् महर्षि दयानन्द (1825-1883) ने विश्व के सभी मनुष्यों व प्राणिमात्र के हित के लिए जो कार्य किया वह अपूर्व

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

काशी शास्त्रार्थ के दो प्रमुख पौराणिक विद्वान पण्डितों का परिचय

ओ३म् महर्षि दयानन्द मथुरा में प्रज्ञाचक्षु गुरू विरजानन्द सरस्वती से अध्ययन कर देश व संसार से अज्ञान मिटाने के लिए

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इतिहासधर्म-संस्कृति-अध्यात्म

महामहोपाध्याय आर्यमुनि और उनका प्रमाणिक वैदिक साहित्य

ओ३म् पं. आर्यमुनि (जन्म 1862) का आर्यसमाज के इतिहास में गौरवपूर्ण स्थान है। आर्यसमाज की नई पीढ़ी के अधिकांश लोग

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आत्मा का स्वराज्य

ओ३म् डा. रामनाथ वेदालंकार जी वेदों के प्रसिद्ध विद्वान थे। अनेक विद्वानों के श्रीमुख से  हमने उनके लिए वेदमूर्ति सम्बोधन

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इतिहासधर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द के द्वारा संगृहीत हस्तलिखित तथा मुद्रित वेद की पुस्तकें जो उनके निधन के समय विद्यमान थीं

ओ३म् ऋषि दयानन्द का पं. लेखराम रचित जीवन चरित पढ़ते समय एक बार हमारी दृष्टि में यह तथ्य आया कि

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

क्या हनुमान आदि वानर बन्दर थे?

वाल्मीकि रामायण में मर्यादा पुरुषोतम श्री राम चन्द्र जी महाराज के पश्चात परम बलशाली वीर शिरोमणि हनुमान जी का नाम

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