धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

धर्म-संस्कृति-अध्यात्मशिक्षा एवं व्यवसाय

विद्यार्थी व अध्यापक के लिए पारस्परिक आवश्यकता व संबन्ध

शिक्षा, शिक्षार्थी व शिक्षक मिलकर शिक्षालय का गठन करते हैं। शिक्षा का महत्व व शिक्षालयों की आवश्यकता प्रत्येक युग में

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कलयुग के दानवीर रामचंद्र डोंगरे जी महाराज

यह जानकर सुखद आश्चर्य होता है कि पूज्यनीय रामचंद्र डोंगरे जी महाराज जैसे भागवताचार्य भी हुए हैं जो कथा के

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महाकुंभ- 2025 वर्षों रहेगी स्मृति   

महाकुंभ – 2025 संपन्न हो चुका है। यह एक ऐसा अद्भुत धार्मिक, समाजिक, दार्शनिक, सांस्कृतिक आयोजन बना जिसने न केवल संपूर्ण वैश्विक जगत सनातन

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यमों व नियमों के पालन से ही आत्मा की उन्नति सम्भव है

मनुष्य शरीर में आत्मा का सर्वोपरि महत्व है। शरीर को आत्मा का रथ कहा जाता है और यह है भी

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आस्था, शिष्टाचार और महाकुंभ का महत्व

स्मार्ट विश्वविद्यालय ने महाकुंभ विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया था, इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त निबंध इस

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शिक्षा पर स्वामी विवेकानंद के विचारों की प्रासंगिकता

स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ। उनकी मृत्यु 4 जुलाई 1902 को बेलूर मठ, हावड़ा

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मावजी साहित्य का वैश्विक प्रचार-प्रसार जरूरी

वाग्वर अंचल का लोक साहित्य, भक्ति साहित्य हो या लोक जीवन, परिवेश, जीवन और जगत से जुड़े किसी भी पहलू

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