लेख

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेदों की अनमोल देन सब सुखों का आधार अग्निहोत्र यज्ञ

ओ३म् वैदिक मान्यता के अनुसार मनुष्य जीवन चार आश्रमों में विभाजित है। ये आश्रम हैं ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास।

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मविज्ञान

सृष्टि में क्रमबद्धता प्रभुसत्ता-सम्पन्न विश्वात्मा के बिना सम्भव नहीं

स्वामी विद्यानन्द सरस्वती आर्यसमाज के उच्च कोटि के विद्वान थे। आपका जीवन अनुकरणीय था। आपने अपनी आत्मकथा ‘‘खट्टी मीठी यादें”

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मविज्ञान

सृष्टि की उत्पत्ति का कारण और कर्म-फल सिद्धान्त

ओ३म् हम इस विश्व के अनेकानेक प्राणियों में से एक प्राणी हैं। यह विश्व जिसमें असंख्य सूर्य, पृथिवी व चन्द्र

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