लेख

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

यज्ञ मानव, समाज व देश हितकारी श्रेष्ठतम कर्म होने से सबके लिये करणीय है

ओ३म् मनुष्य को स्वस्थ एवं सुखी जीवन व्यतीत करने के लिये शुद्ध वायु, जल, अन्न, ओषधि तथा पर्यावरण की आवश्यकता

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

क्या व्यवहार में हम ईश्वर को अपने सभी कर्मों का साक्षी मानते व बुरे कर्मों से डरते हैं?

ओ३म् हम यह लेख लिख रहे हैं इसलिये कि हमारे मन में यह विचार आया है। हमने अपने जीवन में

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

हम सभी जीवात्माओं को कुछ समय बाद अपने शरीर व सगे सम्बन्धियों को छोड़कर परलोक जाना है

ओ३म् हम संसार में जीवन व मृत्यु का नियम संचालित होता देखते हैं। प्रतिदिन यत्र-तत्र कुछ परिचित व अपरिचित लोगों

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