मुक्तक
“मुक्तक” राखी में इसबार प्रिय, नहीं गलेगी दाल। जाऊँगी मयके सजन, लेकर राखी लाल। बना रखी हूँ राखियाँ, वीरों से
Read Moreओ३म् मनुष्य एक ज्ञानवान प्राणी होता है। मनुष्य के पास जो ज्ञान होता है वह सभी ज्ञान स्वाभाविक ज्ञान नहीं
Read Moreकई प्रदेश हैं देश में हमारे। गुंथे हार में सुरभित सुमन प्यारे। विविध रूप-रंग, भाषा निराली , भारत के अंग
Read Moreसमय का पंछी उड़ता जाए दूर गगन में पंख फैलाए। हर आने-जाने वाले को ज्ञान संदेशा देता जाए। समझो समय
Read Moreआंखों में भरी आंसू को रोक ली लज्जा में डूबी वह अपने मुख को तोप ली चल पड़ी उठा कर
Read Moreमाँ,मैं अभी शादी नहीं करना चाहतीं।क्यों,बेटी अब तो तुम्हारी शिक्षा भी पूरी हो चुकी हैं?तुम्हारी उम्र भी तो निकल रही
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