आदेश
शमशान की राख को सीने से लिपटाए फिरता हूँ, महाकाल का भगत हूँ उनका नाम लिए फिरते हूँ, मैं चुपचाप
Read Moreतेरे क़ातिल ज़िन्दा हैं। गाँधी हम शर्मिन्दा हैं। फाँसी पाया क़ातिल पर, घोर जुनूनी ज़िन्दा हैं। जय जय बोलें बाहर
Read Moreआत्मा की आवाज रह जाती है अनसुनी कई बार दब जाती है दबाबों में कभी मेरे कभी तेरे लाचार सिसकती
Read Moreअद्भुत कलाकारी यानी ‘आम’ (Mango) में महात्मा गाँधी । सेल्वम आर्ट, मनालूरपेट, तमिलनाडु की महत्वपूर्ण चित्रकारी। •••••• क्या ‘राजनीतिक दलों’
Read Moreमेरे एक मित्र ने, जिनका नाम डॉ. xyz मान लीजिए, उन्होंने अपनी पीड़ा भी व्यक्त किया है, जो इसप्रकार है…..
Read Moreये हैं आदरणीया ‘गाँधी’ दीदी ! श्रीमती प्रियंका झा जी । जिनकी जन्मतिथि 2 अक्टूबर है, सिर्फ़ जन्म से ही
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