संस्कार विधि में ऋषि दयानन्द के कुछ मन्तव्यों पर पं. युधिष्ठिर मीमांसक जी के विचार
ओ३म् ऋषि दयानन्द सरस्वती ने आर्यसमाज की स्थापना 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई में की थी। 41 वर्ष
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Read Moreउन्मन मन, अर्थहीन जीवन, असाध्य पीड़ा हृदयविदारक, विषयासक्त के प्रति समर्पित, अबला एक नारी है। मनस्ताप अवर्णीय, आत्मकथा अकथनीय, दिनचर्या
Read Moreमन मयूर चंचल हुआ, ढ़फली आई हाथ प्रेम प्रिया धुन रागिनी, नाचे गाए साथ नाचे गाए साथ, अलौकिक छवि सुंदरता
Read Moreखुद को समझाने के लिए मात्र एक ही पंक्ति में मुस्कुराहट की महिमा बतानी हो तो, यों कहा जा सकता
Read Moreआदमी के प्यार को, रोता रहा है आदमी। आदमी के भार को, ढोता रहा है आदमी।। आदमी का विश्व में,
Read Moreकहाँ चले ओ बन्दर मामा, मामी जी को साथ लिए। इतने सुन्दर वस्त्र आपको, किसने हैं उपहार किये।। हमको ये
Read Moreआख़री रात मुम्बई में बिता कर जब सुबह तीन वजे अलार्म ने हमें उठने की चितावनी दी तो हम को
Read Moreमधु माधुरी ज़िन्दादिली, उद्यान प्रभु के है खिली; विहँसित प्रखर प्रमुदित कली, जल गगन अवनि से मिली ! बादल बदलते
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