आदत सी हो गई है
ढेर सारी उम्मीदें बार बार टूटने की टूटी उम्मीदों में खुद को बहलाने की बहला कर उस दर्द को सहलाने
Read Moreढेर सारी उम्मीदें बार बार टूटने की टूटी उम्मीदों में खुद को बहलाने की बहला कर उस दर्द को सहलाने
Read Moreकभी कभी खुद ही को सभी से जुदा पाता हूँ मैं दुनिया की इस दौड़ में दर्शक सा रह जाता
Read Moreउसने कैमरा उठा लिया आग की लपटें उठ रही थी वो मुश्किल में फंसी हुई थी मदद के लिए लगी
Read Moreअपने अहम को न हावी होने देना कोई वहम ना अपने दिल में लेना उसकी अच्छाइयों को परख लेना तुम्हें
Read Moreबचपन के वो दिन आज याद आए कितने बेपरवाह मस्तमौला थे हम शैतानियों के वो सारे पल याद आए टिकते
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