लघुकथा : भगवान की मर्जी
विमला मजदूरी कर घर पहुंची तो भड़क गयी भोलू पर, “कमाकर खिलाना नहीं था तो पैदा क्यों किया?” शराबी भोला
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Read Moreजिस घर में जन्म लिया उसी घर में बेटियों का कोई महत्व नहीं होता है| माना आधुनिक युग में पढ़ाते-लिखाते
Read Moreमौन की भाषा भी नहीं समझतें अब लोग!! मासूमियत भी आँखों में नहीं देखते अब लोग !! बेजुबानों का भी
Read Moreनक्सली लड़कियां जंगलो में भटक भटक थकान से टूट चुकी थी थोड़ा आराम चाहती थी. तभी संगीत की मधुर आवाज
Read Moreगिरने वालो जरा संभल जाओऊँचाई छूनी गर बदल जाओमिलते ख़ाक में ना लगेगी देरपुन्य रस्ते पर जरा टहल जाओहासिल ना
Read Moreशिखा अपने पड़ोसन अमिता और बच्चो के साथ पार्क में घुमने गयी. चारो बच्चे दौड़ भाग करने में मशगुल हो
Read More========== आज दिल कर रहा है कुछ याद करूं अपना ही भूले-भटके हुये गुनाहों को खुद से ही फ़रियाद करू
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