लघुकथा – बेटियां एक ताना
“क्यों बाप की छाती पर बैठी है ” दादी 12 वर्षीय पोती प्रिया को दहलीज पर बैठे हुए देखकर बोली, “कितनी
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Read Moreशाम ढलने लगी थी लेकिन पिछले दो पहर से बंगले के बाहर एक पत्थर पर बैठे बिप्ति के मन में,
Read Moreरीना स्कूल से घर के लिए निकली थी स्कूल में स्वतंत्रता दिवस के खूब रंगारग कार्यक्रम हुए थे, उन सबकी
Read Moreअरे बनवारी लाल ! तुम इतने उदास -बदहवास से क्यों दिख रहे हो ? सब ठीक तो है न |
Read Moreचार पहिया वाहन की आवाज सुन बाहर जाकर देखा रक्षा ने । उसके अम्मा-बाऊजी ही थे । नौकर को गाड़ी
Read Moreन्यू जर्सी के एयरपोर्ट पर लेने आई मिशी को देखते ही वसुधा को अपनी ननद इना की चतुराई का भान
Read More‘अरे सुनती हो!….. छोटी नहीं आयी क्या राखी बांधने?’ उसे मालूम था, कि उसकी गरीबी के कारण छोटी बहन पिछले
Read Moreउसे भूख लगी थी, परंतु जेब में पैसे न होने के कारण टाउन पार्क में जा प्रकृति के सौंदर्य का
Read More“सुचित्रा आजकल हमेशा ऑनलाइन रहती हो ,क्या करती रहती हो ”? “हाँ साधना ! मैं कविता लिखना सीख रही हूँ
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