उपन्यास : शान्तिदूत (पंद्रहवीं कड़ी)
कृष्ण कौरवों की राजसभा में हुई आगे की घटनाओं पर विचार करने लगे, जैसा कि उनको बाद में ज्ञात हुआ।
Read Moreकृष्ण कौरवों की राजसभा में हुई आगे की घटनाओं पर विचार करने लगे, जैसा कि उनको बाद में ज्ञात हुआ।
Read Moreकृष्ण को कुरुओं की राजसभा में द्रोपदी के अपमान की सभी बातें बाद में ज्ञात हुईं। उनको इन घटनाओं का
Read Moreराजसूय यज्ञ के बाद की घटनाओं को याद करके कृष्ण का मन फिर खिन्न हो गया। इस यज्ञ के बाद
Read Moreअब कृष्ण राजसूय यज्ञ के समय हुई घटनाओं को स्मरण करने लगे। राजसूय यज्ञ करना सरल नहीं था। सबसे पहले
Read Moreकृष्ण को याद है कि उस समय वे द्वारिका में थे, लेकिन जैसे ही उनको कुरुओं के साम्राज्य के विभाजन
Read Moreअब कृष्ण द्रोपदी के साथ पांडवों के लौटकर हस्तिनापुर आने के बाद की घटनाओं पर विचार करने लगे। कृष्ण को
Read Moreकृष्ण के विचार अब कर्ण की ओर मुड़े। कृष्ण ने सुन रखा था कि देखने में किसी क्षत्रिय योद्धा जैसा
Read Moreकृष्ण का ध्यान अभी भी वारणावत के षड्यंत्र पर घूम रहा था। कितना गहरा षड्यंत्र था यह। सबसे पहला प्रश्न
Read Moreकाम्पिल्य से द्वारिका जाते हुए कृष्ण का ध्यान पांडवों की ओर ही लगा हुआ था। भीम के बारे में सोचते
Read Moreद्रोपदी के स्वयंवर में धनुर्वेद की कठिन प्रतियोगिता में ब्राह्मण वेशधारी अर्जुन के विजयी होने के बाद की घटनायें कृष्ण की
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